अक्षय खन्ना – जीवनी
पूरा नाम. : अक्षय खन्ना
जन्म तिथि. : 28 मार्च 1975
जन्म स्थान. : मुंबई, महाराष्ट्र, भारत
पिता : विनोद खन्ना (प्रसिद्ध अभिनेता व नेता)
भाई : राहुल खन्ना (अभिनेता)
पेशा. फिल्म अभिनेता
कार्यकाल : 1997 – वर्तमान
प्रारंभिक जीवन
अक्षय खन्ना का जन्म एक फिल्मी परिवार में हुआ। उनके पिता विनोद खन्ना हिंदी सिनेमा के बड़े सुपरस्टार रहे हैं। अक्षय ने अपनी पढ़ाई मुंबई और ऊटी के लॉरेंस स्कूल से पूरी की। बचपन से ही वे शांत स्वभाव के रहे और लाइमलाइट से दूरी बनाए रखना पसंद करते हैं।
फिल्मी करियर
अक्षय खन्ना ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1997 में फिल्म ‘हिमालय पुत्र’ से की, लेकिन उन्हें असली पहचान उसी साल आई फिल्म ‘बॉर्डर’ से मिली। इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट मेल डेब्यू अवॉर्ड मिला।
इसके बाद उन्होंने कई शानदार फिल्मों में काम किया, जैसे:
ताल (1999)
दिल चाहता है (2001) – इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर अवॉर्ड मिला ।
हमराज़ (2002)
हंगामा (2003)
हलचल (2004)
रेस (2008)
अक्षय खन्ना ने कॉमेडी, थ्रिलर, रोमांटिक और नेगेटिव रोल—हर तरह के किरदार निभाए और अपनी अलग पहचान बनाई।
यह कहानी उस एक्टर की जिसने साल 2025 में पहले छावा और फिर धुरंधर पर ऐसी आग लगाई कि Theatre में बैठे लोग भूल गए कि इस फिल्म में और भी बड़े सितारे थे।
वो यह भूल गए कि भाई साहब बड़े-बड़े एक्टर जिनका बजट बड़ा-बड़ा था वो भी इस फिल्म में थे । क्योंकि स्क्रीन पर जब छावा का औरंगजेब या धुरंधर का रहमान डकैत आया तो बाकी सब उसकी परछाई का हिस्सा हो गए। उसकी एक्टिंग का असर इतना गहरा था कि लोगों ने कहा हीरो के चक्कर में हम पिक्चर देखने गए थे। लेकिन जब बाहर लौटे तो हम इस शख्स के फैन थे।
इस शख्स ने ये बताया कि फिल्म में रोल की लंबाई मायने नहीं रखती है। इंपैक्ट मायने रखता है। और इसका इंपैक्ट ऐसा है कि लोग इसकी एक्टिंग देखकर कह रहे हैं कि भाई साहब हॉलीवुड लेवल का कलाकार है।
ये कहानी है अक्षय खन्ना की। वो अक्षय खन्ना जो विनोद खन्ना साहब के बेटे, वो अक्षय खन्ना जो अवार्ड शोज़ में नहीं जाते, इंटरव्यूज से बहुत बचते हैं। सोशल मीडिया के दौर में लाइमलाइट पसंद नहीं करते हैं। लेकिन जो कमाल के कलाकार हैं। कमाल के कलाकार हैं। अद्भुत अविश्वसनीय हैं।
आप हमराज में उनके नेगेटिव रोल को देख लीजिए। बॉर्डर में उनके इमोशनल रोल को देख लीजिए। हंगामा में उनकी कॉमिक टाइमिंग को देख लीजिए। या छावा से लेकर धुरंधर पर उनके ओरा को देख लीजिए। लाखों दिलों पर ऐसे कब्जा कर लिया है कि कोई और दिखाई नहीं पड़ रहा।
अक्षय खन्ना की कहानी उस कलाकार की है जिसकी परफेंस सिर्फ अच्छी नहीं होती बल्कि दिमाग हिला देती है। जिसकी स्क्रीन टाइमिंग में चुप्पी जितनी ज्यादा है उसका असर उतना गहरा है और दुनिया इसीलिए उन्हें अंडररेटेड एक्टर कह रही है क्योंकि वो अपने आप को एक्टर मानते ही नहीं। वो नहीं कहते कि वो ग्रेट एक्टर हैं। अक्षय खन्ना एक ईमानदार एक्टर हैं। वो ईमानदार एक्टर जो खुद के बारे में कहते हैं कि मैं मूवी स्टार नहीं। आई एम जस्ट अ नॉर्मल एक्टर। वो एक्टर जो आता है, छाता है और चुपचाप गायब हो जाता है ऐसे जैसे कभी था ही नहीं और फिर आता है और फिर छा जाता है। इसलिए आज कहानी अक्षय खन्ना साहब की।
28 मार्च 1975 अक्षय खन्ना एक ऐसे परिवार में पैदा हुए जहां चमक दमक थी। लेकिन अंदर गहरी दरार थी। उनके Father Larger than Life Hero सुपरस्टार विनोद खन्ना साहब। लेकिन जब अक्षय केवल 5 साल के थे तब घर बिखर गया। विनोद खन्ना ओशो के आश्रम में गए और फिर मां ने दोनों बेटों को संभाला। परिवार टूटने के चलते अक्षय खन्ना के अंदर एक स्थाई शांति या कहें कि खामोशी आ गई। वे लोगों की गिनती ज्यादा उनके चेहरे पढ़ते थे। बात से ज्यादा खामोशियां सुनते थे और दुनिया को देखने का उनका तरीका उतना ही गहरा था जितना बाद में उनका अभिनय। स्कूल से लेकर कॉलेज तक अक्षय किताबों में कम, जिंदगी में ज्यादा सीखते रहे। कॉलेज बीच में छोड़ा। मानो जैसे दिल कह रहा हो कि असली रास्ता किताबों में नहीं कैमरों की लाइट में लिखा है।
हालांकि उनका फिल्मी करियर जो है पिता के एक्टर होने के बावजूद उनकी मर्जी से शुरू हुआ क्योंकि फादर विनोद खन्ना नहीं चाहते थे कि वो एक्टर बने। विनोद खन्ना चाहते थे कि छोड़ दो। बहुत अनिश्चितताओं वाली इंडस्ट्री है। लेकिन अक्षय माने नहीं। जिद कर बैठे।
1997 में फिर हिमालय पुत्र फिल्म बनी। जो उनके पिता ने बनाई। वह फिल्म चली नहीं। लेकिन अक्षय को बेस्ट डेब्यू का अवार्ड मिला और पिता को यकीन हो गया कि बेटा साधारण रास्तों के लिए नहीं बना है। उसी साल एक और फिल्म आई बॉर्डर जब अक्षय ने पहली बार दिखाया कि अंदर जमा हुआ दर्द जब अभिनय के जरिए बाहर निकलता है तो वो दर्शकों के दिल में पहुंच जाता है। क्योंकि जो उनका धर्मवीर सिंह का किरदार था उसे बहुत सारे एक्टर्स ने ठुकरा दिया था। क्योंकि उसमें हीरोइज्म नहीं था। लेकिन अक्षय की खामोशी, उनकी आंखें, उनके आंसू, उनकी चुप्पी इतना गहरा असर हुआ कि लोग आज भी उस किरदार से जुड़ते हैं।
उनका जो सीन था ऐ गुजरने वाली हवा जरा मेरा इतना काम करेगी क्या? मेरे गांव जा, मेरी मां को मेरा सलाम कर। कपकपी पैदा करता है। बॉर्डर सुपरहिट थी। लेकिन अक्षय स्टार नहीं बन पाए। कलाकार बने। ये उनकी ताकत भी थी। संघर्ष में थी।
2000 के दशक में ताल दिल चाहता है। हमराज ने एक नए मुकाम तक पहुंचाया। दिल चाहता में उनका स्पेशली जो सिद्धार्थ वाला रोल था शांत समझदार संवेदनशील अंदर से टूटा हुआ सच कहें तो वो फिल्म देखते वक्त लोग भूल गए कि भाई साहब ये कोई एक्टिंग चल रही है इतना नेचुरल इतना इनसाइड आउट कि दर्शक उसमें अपने आप को देखने लगे सब कुछ डाल दिया उन्होंने। हालांकि जब लोग उन्हें ओवर सीरियस एक्टर समझ रहे थे तब उन्होंने हमरास की। नेगेटिव किरदार जो कमाल का था। उसके साथ एक फिल्म की हंगामा जिसमें जीतू का किरदार आज भी मतलब लोगों की जेब में पड़े पुराने सिक्के जैसा है। पुराना है लेकिन मजा आता है।
मासूमियत घबराहट, कॉमिक टाइमिंग कमाल, अद्भुत पहचान हो गई इनकी फिल्म। लेकिन अक्षय की खासियत ये है कि जैसे ही पहचान होती है वो पहचान बदल देते हैं। पहचान चेंज कर देते हैं। अक्षय ने शादी भी नहीं की। उनका एक इंटरव्यू बड़ा वायरल होता है जिसमें बताते हैं कि उनके कई रिश्ते टूटे और फिर कहते हैं कि शादी मेरे बस की बात नहीं। मैं अकेला खुश हूं। मुझे किसी कंपनी की जरूरत नहीं है। कईयों को उनका बयान अजीब लगा। कई को ईमानदार लगता है। लेकिन यही अक्षय खासियत है कि वो सच्चे हैं। सच्ची बातें कह देते हैं। वो रिश्तों से भागते नहीं थे लेकिन वे खुद को समझ गए थे। और यह एहसास कर लिया था कि अकेलापन किसी कमी का हिस्सा नहीं, पहचान का हिस्सा है। फिर उनके बाल झड़ने लगे। अब एक एक्टर जिसके बाल झड़ गए हो। कई बार अस्तित्व का सवाल होता है। आमतौर पर एक्टर्स के बाल झड़ते हैं वो डिप्रेस हो जाते हैं या नकली बाल लगवा लेते हैं। फिर बहुत सारे एक्टर्स ने नकली बाल लगवाए। क्योंकि बाल एक्टर के लिए ऐसा होता है कि जैसे किसी पियानिस्ट की उंगलियां टूट जाए। तबला वाले की उंगली टूट जाए। फिर भी वो Survive किए। हालांकि वो कहते हैं कि इनसिक्योरिटी उनकी आत्मविश्वास सुखा गई थी। कई फिल्में फ्लॉप हो गई थी। बाल झड़ गए थे। फिर वो गायब हो गए।
5 साल तक गायब हो गए। ना मीडिया, ना इवेंट, ना फोटो कहीं नहीं। कई सारे एक्टर्स हैं जिनके स्टेटमेंट अक्षय खन्ना को लेकर। लोग जानना चाहते हैं अक्षय खन्ना कहां गायब हो गए। लेकिन वो शोर से दूर थे जहां एक कलाकार कदम चूमता है। 2016 में लौटे और सबको चौंकाया। डिशूम छोटा रोल लेकिन धारदार फिर मॉम श्रीदेवी के साथ जबरदस्त स्क्रीन प्रेजेंस सेक्शन 375 कमाल की एक्टिंग कमाल की एक्टिंग नए सिरे से परिभाषित किया अद्भुत एक्टिंग थी वो अद्भुत एक्टिंग और फिर भगवान ने उनके लिए उनका फेवरेट साल बचा कर रखा था 2025 अक्षय ने कई गलत फैसले भी लिए थे जैसे फैमिली मैन जो है कहा जाता है अक्षय खन्ना को मिल रही थी मनोज वाजपेयी की फैमिली मैन शुरुआत में पैसे कब मिल रहे थे अक्षय खन्ना खन्ना ने मना कर दिया। बाद में वो सीरीज लार्जर देन लाइफ हो गई। मनोज वाजपेयी ने कमाल का काम किया। लेकिन मुझे लगता है अक्षय खन्ना होते तो वो भी कमाल होते। लेकिन ठीक है। कभी भगवान कुछ गलत फैसले करवाते हैं तो कोई बचा के भी रखते।
2025 में अक्षय का सिर्फ भाग्य नहीं बदला। इंडस्ट्री की आंख खुल। छावा में औरंगजेब का किरदार, जिस क्रूरता, जिस शांति, जिस संयम के साथ निभाया वो कम देखने को मिलता है। थिएटर में लोग सीटियां नहीं गुस्से की आवाज निकाल रहे थे। लोग भूल गए थे कि अक्षय खन्ना है। औरंगजेब को याद रखा लोगों ने और धुरंधर में रहमान डकैत नसों में चढ़ गया है। फिल्म कमा रही है। जबरदस्त अक्षय 2025 के ओपनर और फिनिशर बन गए हैं।
आमतौर पर बड़े हीरोज़ के बारे में चर्चा होती है। उनका गाना जो है जबरदस्त वायरल है। और मजे की बात कि डांस स्टेप जो है वो उन्होंने खुद कोरियोग्राफ किया। अक्षय खन्ना का डांस देखा था हमने एक बार पहले एक दिन तेरी राहों में और यह वाला अलग है। उनके पिता भी कभी ऐसे ही नाचे थे। कमाल है। अद्भुत अब उनकी कई और फिल्में भी आने वाली हैं।
धुरंदर 2, दृश्यम 3, एक Netflix का प्रोजेक्ट है। एक स्पाई थ्रिलर है। उनके लुक्स को देखकर लोग पगला रहे हैं। कुल मिलाकर अक्षय कहानी यह सिखाती है। कई बार सफलता संघर्ष के बाद मिलती है। यह सिखाती है कि सच्चे कलाकार दौड़ते नहीं है। रास्ता खुद बनाते हैं। शोर से नहीं चुप्पी से इतिहास लिखते हैं। अक्षय खन्ना ने नाम नहीं काम चुना। भीड़ नहीं, गहराई चुनी, दिखावा नहीं ईमानदारी चुना और इसी वजह से लोग कहते हैं कि देर से चमके लेकिन जब चमके तो ऐसा चमके कि उस चमक के आगे सब फीके पड़ गए। वरना धुरंधर में इतने कलाकार इतने कलाकार अर्जुन रामपाल संजय दत्त रणवीर सिंह छाया कौन है अक्षय ।


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