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| दीपावली का रहस्य – क्यों मनाई जाती है ये पावन रात? |
“दीपावली का रहस्य – उजाले से भरी पावन रात में ज्ञान और प्रेम का दीप जलाइए।”
• दीपावली का रहस्य – क्यों मनाई जाती है ये पावन रात?
भारत में दीपावली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि आस्था, रोशनी और उम्मीद का प्रतीक है। हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या को जब पूरा देश दीपों से जगमगा उठता है, तब ऐसा लगता है जैसे अंधकार पर उजाले की विजय हो गई हो।
दीपावली का अर्थ -
‘दीपावली’ शब्द का अर्थ है – दीपों की पंक्ति। यह त्योहार इस बात का प्रतीक है कि जब जीवन में अंधकार छा जाए, तो ज्ञान और प्रेम का दीप जलाकर सबकुछ रोशन किया जा सकता है।
पौराणिक कथा -
• हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीराम ने 14 वर्ष के वनवास के बाद और रावण का वध करके अयोध्या लौटने पर इस दिन दीप जलाए गए थे। तभी से इस दिन को “दीपावली” के रूप में मनाया जाता है।
• इसके अलावा, मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है। लक्ष्मीजी धन की देवी हैं और गणेशजी बुद्धि के देवता, इसलिए दोनों की पूजा एक साथ की जाती है।
धार्मिक और सामाजिक महत्व
दीपावली न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह परिवार और समाज को जोड़ने वाला त्योहार भी है। लोग इस दिन पुराने मनमुटाव भूलकर एक-दूसरे को मिठाइयाँ देते हैं, घर सजाते हैं, और मिलजुलकर खुशी मनाते हैं।
दीपावली का रहस्य
दीपावली हमें सिखाती है कि सच्चा उजाला बाहर नहीं, भीतर होता है। जब हम अपने अंदर की नकारात्मकता, क्रोध, और ईर्ष्या को मिटाकर प्रेम और करुणा का दीप जलाते हैं, तभी असली दीपावली होती है।
•दीपावली क्यों मनाई जाती है इस बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं
सबसे प्रसिद्ध मान्यता है कि भगवान राम के वनवास से लौटने पर अयोध्या में उनका भव्य स्वागत किया गया और खुशियों के दीप जलाए गए तभी से यह त्यौहार मनाया जाता है लेकिन इसके अलावा भी कई कहानियां हैं जिनके बारे में कम लोग जानते हैं
•आज हम दीपावली मनाने के पीछे की कुछ कहानियां जानेंगे -
श्रीराम के वनवास से लौटने की खुशी यह वह कहानी है जो लगभग सभी भारतीय को पता है । कहा जाता है कि मंथरा की बातों में आकर कैकई ने दशरथ से राम को वनवास भेजने का वचन मांग लिया । इसके बाद श्रीराम को वनवास जाना पड़ा 14 वर्षों का वनवास बिताकर । जब भगवान राम अयोध्या लौटे तो नगरवासियों ने उनका भव्य स्वागत किया । तभी से दीपावली मनाई जाती है । रामायण में बताया गया है कि भगवान श्री राम जब लंका के राजा रावण का वध कर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे तो उस दिन पूरी अयोध्या नगरी दीपों से जगमगा रही थी । भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या आगमन पर दिवाली मनाई गई थी । हर नगर हर गांव में दीपक जलाए गए थे । तब से दिवाली का यह पर्व अंधकार पर विजय का पर्व बन गया और हर वर्ष मनाया जाने लगा ।
• पांडवों का वनवास
पांडवों का अपने राज्य लौटना महाभारत काल में कौरवों ने शकुनी मामा की मदद से शतरंज के खेल में पा को हराकर छल पूर्वक उनका सब कुछ ले लिया और उन्हें राज्य छोड़कर 13 वर्ष के लिए वनवास जाना पड़ा । कार्तिक अमावस्या को पांच पांडव युधिष्ठिर भीम अर्जुन नकुल और सहदेव 13 वर्ष का वनवास पूरा कर अपने राज्य लौटे । उनके लौटने की खुशी में राज्य के लोगों ने दीप जलाए । माना जाता है कि तभी से कार्तिक अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है ।





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